शुक्रवार, 29 जून 2018

Happiness Unlimited - Poem by Dhruv Bhatt

ઓચિંતુ કોઇ મને રસ્તે મળે, ને ધીરેથી પૂછે કે કેમ છે…
આપણે તો કહીએ કે દરિયાશી મૌજમાં, ને ઉપરથી કુદરતની રહેમ છે…
ફાટેલા ખિસ્સા ની આડમાં મુકી છે અમે છલકાતી મલકાતી મૌજ…
એકલો હોઉ ઊભો ને તોય હોઉ મેળામાં, એવું લાગ્યા કરે છે મને રોજ..
તાળુ વસાય નહિ એવડી પટારીમા, આપણો ખજાનો હેમ ખેમ છે…
આપણે તો કહિયે કે દરીયાશી મૌજ મા, ને ઉપરથી કુદરતની રહેમ છે…
આંખોના પાણી તો આવે ને જાય… નહીં અંતરની ભીનાશ થાતી ઓછી…
વધ-ઘટનો કાંઠો રાખે હિસાબ… નથી પરવશ સમંદર ને હોતી…
સૂરજ તો ઉગીને આથમિયે જાય… મારી ઉપર આકાશ એમ-નેમ છે…
આપણે તો કહિયેકે દરીયાશી મૌજ મા, ને ઉપરથી કુદરતની રહેમ છે…
Original Poem by Dhruv Bhatt

कोई किसी मोड पर अचानक मिल जाए और धीरे से पुछे कैसे हो?

हम तो कह दे कि, दरिया से मौज है और ऊस पर कुदरत की रहमत है
टूटी सी जेब में मेने रखी है छलकती मुस्कुराती अपनी मस्ती,
अकेला ख़डा हुं पर रोज लगता मुझे है जैसे वहां हो पूरी बस्ती ,
तालाचाबी में बंध ना हो पाए ऍसी संदूक में अपना खजाना सलामत है,
हम तो कह दे कि, दरिया से मौज है और ऊस पर कुदरत की रहमत है
आखोंमे पानी तो रहेता है आता - जाता, अंदर नमी कम नही होती,
तट कम ज्यादा का रखता हिसाब, समंदर को परवाह नही होती,
सुरज उगता है ओर डूब भी जाता है, हमारा आकाश उपर मौजुद है,
हम तो कह दे कि, दरिया से मौज है और ऊस पर कुदरत की रहमत है
Original Poem by Dhruv Bhatt
Translated in Hindi by Vipul K. Bhatt

गुरुवार, 28 जून 2018

सोमवार, 25 जून 2018

I am a legend !!!



मै जिंदा हुंयही टाइटल  था “I am Legend”  फिल्म के हिन्दी  भाषांतरित प्रिंट काविल स्मीथ के द्वारा अभिनीत  इस फिल्म मे एक द्रुश्या मे हीरो साथी कलाकार को बॉबमारली को बारे में कहता  है किबॉब मारली यह मानते थे और चाह्ते थे कि संगीत के द्वारा समाज के लोगो के बीच की नफरत, द्वेष और इर्षा को मिटाया जा सक्ता है
बात को आगे समझाते हुए मूवी  में विल स्मीथ  बताते है कि, एक बार कोई शो से दो दिन पहले बॉब मारली  को और उनकी बातो को ना पसंद करने वाले ने उनपर हमला कर दियालेकिन फिर भी दो दिन बाद वो अपने कोनसर्ट के लिए पहुंच गयेतब पत्रकारो ने इसका कारण पुछातो जवाब में बॉब मारली  बताते है, “दुनिया में नफरत को फैलाने वाली बुराईतो रुक्ति रुकती, नाहि थकती हैतो, मैं कैसे रुक सकता हुं ? “

यह दूश्य में अभिनेता के हावभाव  और शारीरिक भाषा प्रभावशाली हैइस दूश्य तुरंत ही पूरी पट्कथा  का प्रेरक समझ मेंजाता हैयह बॉब मारली की जीवनी अभिनेता को जीवन की प्रेरणा है
इस दॄश्य के द्वारा आप के सामने यह विषय रखने की कोशिष कर रहा हुं
दिव्य ध्येय की और तपस्वी,
जीवनभर अविचल चलता है
यह छोटी सी कहानी इस पटकथा के नायक के जीवन का आधार बन गई थी, बल्कि यह कहना भी गलत कि, यह पुरी पट्कथा का आधार हैअभिनेता चरित्र का खुद पर विश्वास इसी बॉब मारली की जीवनी पर आधारित ही था
अत्यंत महत्वपूर्ण सीख यह कहानी हम को देती है, यह हैजीवनव्रत”। कोइ काम तो हम अपने जीवन को व्रत के रुप में अपनावें और उस काम को जीवन भर पूर्ण रुप से व्रत मान कर करते रहे ।  हम स्वय्म प्रेरीत होएसी अनेकअनेक प्रेरक क्थाए हमारे आसपास हमेंशा रहती हैप्रश्न यह है, क्या हम अपने जीवन पर्यंत के व्रत ऊठाने के लिए तैयार है, या नही?
श्री मुकुल कानीटकर की यह कविता अधिक स्पष्टता को लिए प्रस्तुत है
कहते है कि बडा
कन्ट्काकीर्ण होता है
सत्य का पथ !
पर
अनुभव तो है ये कि
सत्यपथ सदाही
मनोहर होता है।
हां बाधायें तो निश्चित
अधिक आयेंगी।
पर हौसला भी तो
औरों से अधिक होगा।
साथी भी भले
संख्या में कम लगे
पर होंगे सच्चे और पक्के।
हे मेरे सत्यपथी
छोडना न साथ
सत्य का
तोड़ना न व्रत
जीवन धर्म का
जीवन में जो हम व्रत लेकर, जो राह पर चल पडे है, वही राह पर अथक चलते रहना ही, राह का सम्मान होगास्व. हरिवंशराय बच्चन की इन पंक्तिओ से यह विष्य समाप्त करता हुं
तू न थकेगा कभी,
तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
- Vipul Bhatt- Bhuj

शनिवार, 6 जनवरी 2018

Anand aparmpar che

ઍજ બહાર છૅ જૅ અંદર છૅ
આનંદ ઍક સદાબહાર છૅ.

યાદ રાખૉ સાહૅબ, વિલાપ થૉડી વાર,
વધુ વિપુલ આનંદ અપરંપાર છૅ.

તારૉ થૉડૉ મનૅ આપ, હુ આપુ તનૅ,
જીંદગી આનંદ નૉ વૅપાર છૅ..

વિપુલ ભટ્ટ..

गुरुवार, 4 जनवरी 2018

Cleanliness

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रविवार, 24 अप्रैल 2016

પ્રિય શેખ્સપીયરભાઈ

પ્રિય શેક્સપિયર ભાઈ

સાદર જણાવવાનું કે તમારા ગયાને 400 વરસ થ ઈ ગયા પરંતુ અંહી કઈ પણ બદલાયુ નથી... અમે હજું એવાને એવા જ છીયે...

તમને જાણીને આનંદ થશે કે તમારા બધાં જ નાટકના પાત્રો આજ પણ અંહિ ઉપલબ્ધ છે...

અમે હજું પણ એવા જ મન ના મેલાં અને કાવતરાં બાઝ છીએ...

વધું માં લખવાનું કે થોડાં સાહીત્ય રસી કો  અને વિદ્યાર્થીઓ સીવાય તમોને કોઈ બહુ યાદ કરતા નથી. જેથી તમારાંરહસ્યો અકબંધ છે...

કાલીદાસ થીરૂવલ્લુવર વ્યાસ પણ તમારી સાથે હશે તેઓનેપણ સાદર જણાવવાનું કે તેઓ પણ વિસરાઈ રહ્યાંછે....

થોડાં વરસો પછી બાળકો કદાચ પુછે શું ગાંધી ક.મામુનશી શેકસપીયર અને ટાગોર સાચા પાત્રો છે કે સુપરમેન સ્પાઇડરમેન ની જેમ કલ્પનાઓ? ??

शनिवार, 23 अप्रैल 2016

Simplicity bites...

You must heard popular advertisement on D. D in 80s "greatness of this man was his simplicity" it was about Gandhiji

That was 20th century. Now in 21st century simplicity does not pay....

I know, simplicity is universal.
Nature is simple.
Growth is simple.

But in 21st century if you are simple, you will be taken for granted...

Complex personality, artificial / febricated personalities are more sucessful...

Be simply complex!!!!